हवस

1.
कोई और वक्त हो, कोई और दिन हो, तो मिट भी जाएँगे
तुम्हारे एक इशारे पे

पर आज हाथ थाम लो, और समेट लो बाहों में
आज मेरी हवस है किनारे पे

2.
अश्कों को आज पोछ दो, यह मेरी वफ़ा के टुकड़े हैं
चुभ गए तो, दाग ही लगाएँगे, दामन सारे पे

1 comments:

  rahul mittal

15 March 2010 at 21:22

kya baatan...