बूँदें

कल रात तेज़ बारिश हुई थी
आईने पे जैसे तेरी ज़ुलफ से छिटकी कुछ बूँदें गिरी थी
अभी तक सुखी नहीं हैं वो बूँदें
जैसे इंतज़ार हो के कोई आ के
अपना चेहरा संवारने के बहाने, पोंछेगा !

अगर आओ तो भूल ना जाना
के बूँदें सिर्फ़ आईने पर ही नहीं हैं पोंछने को !!

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