जो रह गया बाकी

उसने सुना तो था पर कुछ ओर भूली नहीं
मैने कहा तो था पर समझाया नहीं
और कहने-सुनने वाली गुफतगू अब भी मुंतज़ीर-ए-बयाँ है !

वो आई तो थी पर कहीं से लौटी नहीं
मैं गया तो था पर पहुँचा नहीं
और आने-जाने वाली दूरी अब भी दरमियाँ है !!

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