फुलकारी

मां ने सर्दी की रातों में जाग जाग
एक फुलकारी बुनी थी !
जिसके एक कोने में
चुपके से मैने तुम्हारा नाम लिख दिया था !
पर अब सोचती हूं
के उसपे किसी ओर का नाम मढ़ दूं !
मोल देना है उन सपनों का
जो मां ने नही देखे, इस फुलकारी के लिए !
तुम्हारे नाम की तो मैने एक कोरी चादर संभाल रखी है !

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