गुल्मोहर

ना-उम्मीदी सही, ख्वाब रु-ब-रू होंगे ज़रूर,
चाँद हो ना हो, झील के पानी रोशन होंगे ज़रूर !
कोई रोएगा यूँ तो, हँसेगे बहुत आज,
झड़ेंगे गुलाब तो गुल्मोहर भी खिलेंगे बहुत आज !

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