रेत

और उस दिन एक लड़की बोली के, यूं एक टक मत देखा करो, अच्छा नहीं लगता !!
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|| रेत ||
तेरा ख्वाब आ के नींद से जगा जाता है
अतीत में से कोई लोरी ढूंढ, खुद को सुनाता रहता हूँ !
कोई होड़ लगी है तुझे मुकम्मल करने की
मैं तुझको पैमाना बना, हर शख्स को मापता रहता हूँ !
मेरी मुफ़लिसी ही मेरा जनून है
जहां मुठी भर मिलती हो, चुराता रहता हूँ
रेत फिस्सलती जाती है मुठी में से
मैं ओर ज़ोर से दबाता रहता हूँ !!

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