दो कटिंग

एक में अदरक ज़रा तीखा था,
दूसरी में हंसी की चाशनी से निचोड़ा मीठा !
यूं तो मेरे तंज़ अपनी फ़ितरत के गुमान में थे,
पर अपनी तो थोड़ी जीत थोड़ी मात थी !
बस दो कटिंग की बात थी !

एक में मेरी गरम सांसें घुलती हुईं,
दूसरी पे चांद सा तेरी लिपस्टिक का निशाँ !
यूं तो बादल की चादर औड़ सोने चले थे सितारे,
जो बांट ली हमने वो चांद की रात थी !
बस दो कटिंग की बात थी !

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