है हमें जाना कहाँ, चले हैं कहाँ को हम

गणतंत्र होने का अर्थ सिर्फ़ एक संविधान का लेखा पन्नों में लिख लेना नहीं है | मेरी नज़रों में इसका अर्थ है "बिना किसी के अधिकार की अवेहलना किए राष्ट्र निर्माण के लिए लोगों का स्व: शक्ति संपन्न होना"| लोगों की सशक्ति ही इस शब्द को सार्थक करती है|
अगर स्वतंत्रता अधिकार है तो गणतंत्रता उत्तरदायित्व है और इस से बड़ा और महान उत्तरदायित्व शायद ही कोई ओर हो |

पर इस गणतंत्र दिवस पे जब आपके संविधान का दरबान "राष्ट्रपति" ही राजनीतिक तौर पे पक्षपाती हो और भारत वर्ष के लोगों को अपने वार्षिक सम्भोधन में अपने ही देश के एक राजनीतिक दल पर कीचड़ उछाले तो मेरे मन में सिर्फ़ एक सवाल उठता है:
"है हमें जाना कहाँ, चले हैं कहाँ को हम"

पर मेरा गणतंत्रता में विश्वास अभी भी है क्यों के भारत के लोग अभी भी "ज़िंदा" हैं !
इस गणतंत्र दिवस पे मुझसे शुभ कामनाएं नहीं, थोड़ा विश्वास ले लीजिए !

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