आगाज़

मैं तो कब का गुज़र गया होता
शायद थोड़ा इंतज़ार ओर बाकी है !
किश्तो में मुकम्मल होती इस ज़िंदगी की
शायद कुछ आज़माइश ओर बाकी है !
इक लम्हा ख़तम हुआ है
दूसरे का आगाज़ अभी बाकी है !

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