वादा खिलाफी

इशक पे लिखा अभी तलक मिटाया नहीं,
ये भी क्या कम इतफ़ाकी है !
बोल तो मेरी गज़ल में भी हैं,
मुझे तेरी खामोशी काफ़ी है !
तेरे होठों का चुप चाप रहना,
फिर आखों का सब कह देना,
ये भी क्या वादा खिलाफी है !
के तुम महबूब हो, दुश्मन नहीं !!

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