हिमाकत

समंदर को ज़रा पलक झपकने तो दो,
मैं मीठी नदीओं को खारी लहरों से निकाल लूंगा !
अभी तो एक रंग-ए-मंज़र देखा है आपने,
ज़रा हमें जानिए तो सही, मैं आपकी रूहों को अपना बना लूंगा !

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