इतफ़ाकन

इतफाक जिस रोज़ इक लंबा सफ़र तै कर,
मेरी गोद में आ गिरा था,
उस रोज़ तुम्हारी उंगलियाँ खेल रहीं थी,
मेरी ज़ुल्फों की उलझन से !

इतफ़ाकन उस दिन पूरा हुआ वो,
जो अधूरा था बचपन से !
इतफ़ाकन तब दिल भी कमज़ोर था,
सहारा मिला तेरी धड़कन से !

इतफ़ाकन तेरा सीना भी झुका,
मेरे आँसुओं के वज़न से !!

0 comments: