जिल्द

सुनहरे रंग की जिल्द में ढंके पड़े,
जंग लगे पन्नों में,
मुठियाँ भींचते शब्द रहते हैं !
उन्हे जिल्द में छुपा रहने दो !

शब्दों का असल काला रंग किसी को समझ नहीं लगता,
सुनहरी जिल्द सबको भाती है !!

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