कलियां

मैने इकठ्ठी की थीं कलियां,
के एक दिन फूल बन खिलेंगे सब !
वो मुरझाई सूखी पड़ी हैं डायरी के पन्नों में,
वस्सल वाले शब्दों के साथ !


मैने लिखना छोड़ दिया था तब से,
के डायरी में हिज़र जैसे शब्द आए जब से !!

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