रिश्ते

इनमे जो बची मोहब्बत ही नहीं,
तो रिश्तों का बोझ क्यों कर सहुं !
तुझसे तो कुछ शिकायत भी नहीं,
तुझे अपना क्यों कर कहूं !!

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