चाशनी

जाने कहां अटका रह जाता है एहसास जिसपे मेरा हक़ था,
के दिल की मायूसी रहती है होठों पे हंसी बन के !

और जाने कौन सी छननी से निचोड़ लाते हैं रिश्ते वो,
के किसी का प्यार रहता है गालों पे चाशनी बन के !!

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