दहलीज

मेरे पांव बांधे रखी है इक सोच, के शायद,
कोई तुम्हे मुझसे भी ज़्यादा मोहब्बत करता है !
तुम्हे भी पता लगेगा के कितनी दर्द-शुदा है,
ज़िंदगी जब खुद-ब-खुद लांघेगी वो दहलीज !!

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