सर्दी

तू चुरा लेना ख्वाबों से इंदर-धनुशें ऐसे,
के कफ़न भी रंगों संग आ घुले !
तू उड़ाना कहकशां में सितारे ऐसे,
के पिंजरे भी आज़ादी की खातिर संग चले !
तू देना अपनी आमद की खुशी ऐसे
कोई जिस्म पे आंसू भीगी हल्दी मले !
तू ढंक लेना उसे अपने बदन से ऐसे,
जैसे सर्दी में नींद मिल जाए कंबल तले !

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