माप

मैनें मापा था कई बार वो लम्हा के कितना मुख़्तसर था,
जब तुमने मुझे पहली और आख़िरी बार अपनी बड़ी बड़ी आंखों से चाहा था !
और अब सोचता हूं के बे-कराँ था,
जो मेरी सोच में बस के रह गया है हमेशा के लिए !!

बस अब आके इक बार माथे को चूम देना,
और ख़तम कर देना सब कुछ !
वरना वो लम्हा रह जाएगा इस असीमित खला में,
क़ैद हो के, मेरे अरमानों की तरह !!

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