आभास

बड़ी विरानगी सी थी उस मोहब्बत में,
साथ निभा के भी खुद को तन्हा रखे रखा !
उसे गले लगा के, वो उससे ओर भी दूर हो गयी,
और वो पगला, उसकी छूहन को भी संजोए रखा !!

इक तिशनगी सी थी उस दवा में,
मरने के लिए ता-उम्र ज़िंदा रखे रखा !
वो चाहती थी रखना उसको अलहदा दिल के एक कोने में,
और वो पगला, खुद को शराब में डुबोए रखा !!

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