आयाम

मेरे पैर छज्जे के सिरे पे,
हाथ काँच के एक ग्लास पे,
आसमाँ छूता हुआ ज़मीन को दूर उफक पे,
आधा चांद हावी होता हुआ सूरज की मधम रोशनी पे…


ये एक साधन मात्र है तुम्हे पाने का !
प्रेम रूह का एक आयाम है, तुम्हे नहीं पता था ?

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