जो जले तो कौन बुझावे,
जली जब राख बने तो फिर कौन जलावे !
इस लागी को कौन छुड़ावे,
कोई खुद छोड़ जाए तो फिर कौन बुलावे !!
जली जब राख बने तो फिर कौन जलावे !
इस लागी को कौन छुड़ावे,
कोई खुद छोड़ जाए तो फिर कौन बुलावे !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday 28 March 2015 at 22:54
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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