सुबह

लाल हो गये गाल, जो निगाहों की तपिश बिखरी रुख़ के आंगन में,
और तेरी ठंडी सांस का संदेशा मिल गया होठों को !
चुभन दे गयीं माथे की लकीरों में,
तेरी उंगलियाँ, नुकीली, मेरे कजरे से भी ज़्यादा !!

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