भीगी सी स्याही

ऐसा कुछ नहीं जो लिखने के लिए बचा हो,
कुछ लिखूंगा भी तो वही का वही दोहरा जाऊंगा !
अब तो, शायद, लिखता हूं इस लिए,
के किसी को इंतज़ार रहता है,
बहाने का ! भीग जाने को !!


लो आज फिर भीग लो !!

0 comments: