अधूरापन

सोचो के एक पगडंडी है,
छोटी सी !
मैं खड़ा हूं इस छोर पे,
तुम दूसरे छोर पे मुंह दूसरी तरफ किए !
सोचो के हम दोनो के बीच क्या है,
इस फ़ासले के सिवा !


सोचो !

सोचो के गर कुछ है भी,
तो सब अधूरा है !!

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