मोहताज़

माथे की शिकन में रख ली हैं यादें,
और हाथों की लकीरों में छुपा लिए सब अरमान !
उसका चूमना और तुम्हारे आंसू,
बस मोहताज़ हैं तुम्हारे बदन के !

ओ झल्ली, तुम्हारे प्यार के काबिल कोई तो होगा…

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