धूप का साया

वक़्त ने भी अपने मन में बंजारापन बसाया है,
देखो, सब अरमानों को तदबीर बना दिया !
आज फिर छांव पे धूप का साया है,
देखो, पंछीओं की चहचहाट ने गमों की रात को जला दिया !!

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