अंजान

अजीब है के खेल खेल में उलझ जाता है बरसों का बुना ताना-बाना !
जैसे किसी अंजान मोड़ पे विछड़े हुए महबूब का मिल जाना !
या ढूंढना नमक की बोरी में गुम हुआ चीनी का एक दाना !!

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