खत

कोई बरसों मलहम लगाता रहता है,
लिफाफों में लपेटे उन ज़ख़्मों को,
जो उसने कुछ लम्हों के दायरे में,
बांध दिए थे खत की एक कन्नी से !

और दूसरी कन्नी से झर झर बहता हुआ एक आंसू !!

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