ताना-बाना

ये जो बाहर आतिशबाज़ी हो रही है,
या तो कोई चल बसा है या कोई ज़िंदगी सांस लेने लगी है !
मैने नहा धो के आज कपड़े सब नये पहने हैं,
मगर ज़िंदगी फिर पुराने धागों से ताना-बाना बुनने लगी है !

1 comments:

  Nitish Tiwary

3 October 2015 at 10:01

bahut achha likha hai aapne...
mere blog par bhi aaiye,
http://iwillrocknow.blogspot.in/