राह

जैसे चोटिओं पे बर्फ छटपटाती है समंदर में घुल जाने को,
मेरे होंठ भी तरसते हैं तेरा माथा चूमने को !
फरक इतना बस,
नदीओं के राह बड़े लंबे होते हैं और अपनी मोहब्बत के है ही नहीं !!

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