वो रात

रोशनीओं से अलहदा चांद भी भटका था,
कभी बादलों के पीछे,
चेहरा छुपाए !
उस लम्हे में कुछ अधूरा नहीं था,
मैं और तुम पूरे इक दूसरे से !!

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