थमे लम्हे

यूं आज पहली बार हुआ के तेरी आंखों का चांद अलसाया सा,
करवटें लेने लगा बरसों की मेरी आंखों की जगी रातों में !
आज बांट लेते हैं चांदनी आधी आधी,
और इस लम्हे के बाद कहीं छुपा लेंगे जेबों में अगली तारीख तक !

फिर किसी रात दोनो आध जोड़ के सज़ा लेंगे आने वाली सब रातें !!

0 comments: