बिखरे

हम दोनों ही बिखरते थे,
और सिमटते सिर्फ़ एक दूसरे से !
बिखराने वाले सब, समेटने वाले सिर्फ़ तुम !
ज़िंदगी को लगी है आदत तुम्हारी, ज़िंदगी भर के लिए !!

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