खिंचती डोर

ओ पीची,
सुनो, ये जो डोर बांध रखी है,
पायल से तुमने मेरी उंगलिओं तलक,
उससे खिंचता तो रहा हूँ अब तलक !
मगर ये भी सोचो,
डोर तोड़नी होगी, पायल लौटानी होगी !
मुझे किसी नये को पहनानी होगी,
तुमको कोई नयी पहननी होगी !

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