लफ्ज़

ज़िंदगी ने वक़्त तो भर दिया,
मगर मन सिर्फ़ लफ्ज़ ही भर पाते हैं !
आज इक ओर ताना-बाना बुनने जी चला,
वक़्त में से थोड़ी ज़िंदगी काट के !

शायद, थोड़ी साँसे जोड़ने !!

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