उस साल की बारिश

अभी ख्वाबों ने गये दिनों का किवाड़ खोला ही था,
झरोखे में से चाँदनी ने पायल की खनक सी दस्तक दी !
खिड़की में से देखा तो चाँद के इर्द गिर्द,
दो सितारे तुम्हारी तरह ही आँखें मलते उठ बैठे !
ये अभी अपनी अलसाई पलकें झपक ही रहे थे,
उधर कोने में दो सितारे छुपन छुपाई खेलने लगे !
इधर एक शर्मिला सा सितारा अपने में ही सिमटा,
बादल के पीछे छुपने की कोशिश कर रहा है !
चाँद के देखते देखते ही,
दो बादल आपस में ही लड़ दिए !


फिर,
बहते आँसुओं जैसे टूटते सितारे !!

उस साल की बारिश अभी भी रोज़ होती है !!

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