तुम

ज़हीन सी उस बच्ची के लिए,
बूढ़ी माई के बाल अच्छे या बुरे नहीं थे,
उसमे कुछ पाना या खोना, जीतना या हारना नहीं था,
उसके लिए बूढ़ी माई के बाल का उसके पास होना बस काफ़ी था !
इसी लिए अप्पा को उस दिन वो समझा ना पाई थी के कैसे लगे वो उसको !
क्योंके उस नन्हे से मन में काबिलियत नहीं होती,
मोहब्बत को शब्दों के हेर फेर में डालने की !


जैसे के मुझमे भी नहीं थी,
यारा, मेरे लिए तुम बस तुम थी !!

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