वजन

किसी भी सितारे से पूछ लेना के रोशनीओं के राज़ दफ़न नहीं होते चंचल सी झीलों में,
कुछ हवाएं उड़ा ले जाती हैं सब छुपाई बातें और पीस देती हैं बूढ़ी माई के बालों वाली चक्की में,
और बन जाते हैं ख्वाबों के बादल अलसाई हुई नींदों में,
बादलों के गुच्छे सबूत दे जाएँगे के बारीशों में भीगने वाले खो जाया करते हैं अक्सर भीगी हवाओं की तरह !
रोशनियाँ नहीं नाप सका कोई भी, देखने को बस इतना भर के रोशनी है के नहीं !
तू भी बस इतना ही पूछना के मोहब्बत है के नहीं !

के कितनी है मोहब्बत?
सवाल में सिर्फ़ दर्द भरा है जिसके जवाब के आंसू बंजर धरती की तहों में छुप गये हैं !


तौलने से वजन कम क्यों हो जाता है प्रेम का,
इस बात की वजह ढूंढने निकले मेरे गीतों के दो बोल !!

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