थोड़ा

कहीं खो जाना, तो थोड़ा मिल भी जाना !
कहीं चले जाना, तो थोड़ा सा रह भी जाना !

रात अपना बिस्तर समेट रही होगी
जब दिन आंखें मलते उठ बैठेगा
दोनों थोड़ा जगे थोड़ा सोए !
थोड़ा सा तो होते होंगे रु-ब-रु !!

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