अपने अपने हिस्से

शाम की रोशनिओं को औढ़ा देना अपने दुपट्टे की छननी,
और चांद को कन्नी से बांध लेना !
चरागों के नीचे अधेंरे ज़ाया हों, उससे पहले अंधेरे को भी थोड़ा फुंक मार के सुलगा लेना !
आज सब रोशनिआं अपने हिस्से रखना !!

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