सब वैसे

मेरे यहां,
तुम्हारी कुछ झपकियां रखी हुई हैं,
और कुछ गीली मिट्टी की खुश्बू !
इक किताब है जिसके आधे पन्ने पुराने और आधे अनछूहे हैं !
शीशे पे तुम्हारे गीले बालों के कुछ छींटें भी बचे हैं !
तकिये वाली अपनी कुछ लड़ाई भी बाकी है !


मैने संभाल के रखा है सब वैसे ही जैसा तुम छोड़ के गयी थी !
बस सिवाए अपने !!

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