कैलेंडर

मेरे हाथों से लकीरें निकाल,
पैरों में थकान डाल गया है कोई !
वक़्त ऐसे कटता है मेरा,
जैसे घड़ी से सूइयां निकाल गया है कोई !

मेरे दिन-रात में अब भी तुम मौजूद हो
पर जैसे कैलेंडर से तारीखें निकाल ले गया है कोई !!

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