ये दिल आईने सा है, इसे मोम बना लेना !
फिर बस पिघलेगा मगर टूटेगा नहीं
बाहर की परछाईओं को अंदर की तपिश से जला देना !!
फिर बस पिघलेगा मगर टूटेगा नहीं
बाहर की परछाईओं को अंदर की तपिश से जला देना !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Wednesday 28 October 2015 at 21:39
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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