ज़िंदगी की बुनियाद बनाने की कोशिश थी,
बस इंट पे इंट लगाते चले गये!
खुदी की इमारत पे की मोहब्बत कुर्बान थी,
बस रेत पे रेत गिराते चले गये!!
the pursuit of reason... the fight with self...
ज़िंदगी की बुनियाद बनाने की कोशिश थी,
बस इंट पे इंट लगाते चले गये!
खुदी की इमारत पे की मोहब्बत कुर्बान थी,
बस रेत पे रेत गिराते चले गये!!
Posted by Sukesh Kumar Tuesday, 3 May 2011 at 23:18 0 comments
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)