नज़दीकी

सोचती ही  रही तुम, थोड़ा कम सोच लेती !
करीब तो आई ही थी, थोड़ा ओर आ जाती !!

नीली स्याही

ज़ख़्मों से शब्द रिसते रहे मेरे, डॉक्टर ने नीली स्याही डाल दी थी
दर्द अब भी बाकी है
पर अब पता नहीं लगता खून कौन सा है और स्याह शब्द कौन से हैं !

कलर-ब्लाइंड

बहुत कुछ लिखता हूँ काग़ज़ पे आज कल
पर स्याही सूखते ही सिलवटों से भरा काग़ज़ रह जाता है, शब्द नहीं मिलते !
कलर-ब्लाइंड को शायद स्याही और आंसूओं के रंग भी धोखा दे जाते हैं !!

सिलाई

निशान पड़ गया है कंधे पर जहाँ तूने सर रखा था !
हर रात रगड़ रगड़ कर धोता हूँ रंगे पानी से !!
नासमझ, सिलाई नहीं निकलती, दाग तो निकल जाते हैं रगड़ने से !!

ज़िन्दगी का पन्ना

वो एक बाल तेरी ज़ुल्फो से झड़ कर मेरे होठों पर रह गया था
अभी तक संभाल के रखा था मैने किताब के पन्नों के बीच !
एक पन्ने के बीच जहाँ ज़िंदगी का ज़िकर था
कल रात आँधी आई थी, बाल तो उड़ गया पर निशान छोड़ गया उसी पन्ने पे !!