ਗੱਠਾਂ

ਤੇਰੀਆਂ ਸੱਧਰਾਂ ਤੇ ਮੇਰੀਆਂ ਖ੍ਵਾਹਿਸ਼ਾਂ,
ਏ ਸੂਈ ਚ ਪਾਏ ਧਾਗੇ ਨੇ !
ਮੇਰੇ ਮੋਢੇ ਤੇ ਤੇਰੀਆਂ ਬਾਹਵਾਂ,
ਬਸ ਬੋਹੜ ਤੇ ਬੰਨੀਆਂ ਲੀਰਾਂ ਨੇ !
ਤੇਰੀ ਜ਼ੁਲਫਾਂ ਚ ਮੇਰੀਆਂ ਉਂਗਲਾਂ,
ਤੇਰੇ ਹੱਥ ਤੇ ਬੰਨੀ ਖ਼ਮਣੀ ਏ !
ਸੱਟਾਂ ਤੇ ਤੇਰੀਆਂ ਗਰਮ ਫੂਕਾਂ,
ਮੇਰੀ ਬਾਂਹ ਤੇ ਬੰਨੀ ਤਵੀਤਰੀ ਏ !


ਏ ਕੱਲੇ ਕੱਲੇ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਤੇ ਕੱਠੇ ਕੱਠੇ ਦੀਆਂ ਬਾਤਾਂ !
ਏਹੀ ਬਸ ਬਚਿਆਂ ਖੁਚੀਆਂ ਯਾਦਾਂ ਨੇ,
ਜੋ ਆਪਣੇ ਫੇਰੇਆਂ ਚ ਪਈਆਂ ਗੱਠਾਂ ਨੇ !

गयी रात

कुछ रातें बिन नींद ज़ाया हो जाती हैं,
मगर बहुत कुछ छोड़ जाती हैं !

कोयल ने आवाज़ दी तब तक सोने की सोचता रहा हूं गयी रात !!

चोरी चोरी

चोरी चोरी आँखें लगा लो तो,
आँख नहीं लगती, यारा !

ओ झल्ली, तू भी तो जगी थी कभी किसी के लिए !
तेरी नींद उड़ाने वाले सबब ही तो टोह रहे हैं उसके नैनां !!

टीस थी मोहब्बत को बस इतनी,
के तुम छुपती रही,
और वो छुपाता रहा !

The winner

The war has always been between pride and pennies. Without fail, it is the winner which had pride on its side.

मुश्किल

पता नहीं क्यूं मुश्किल होता है लिखना,
उसे गले लगाने वाला पल !
और काग़ज़ भरे पड़े हैं,
उसके बाद और उसके पहेले वाली ज़िंदगी से !!

शिकन

लकीरों पे अपनी मर्ज़ी का कुछ ऐसा कुरेद देना, जो फिर उम्र भर ना मिटे !
इससे पहेले के,
हाथों की लकीरें, माथे की शिकन बन जाएं !!

happy journey

मेरी कबर पे लिखना, एक था जो जिया था !
'happy journey' ना भी हो, जीवन का सफ़र तै करने में मज़ा तो है !!

अपना कुछ

उस झल्ली लड़की से पूछना,
कैसा लगता है, दुनिया से पराया ना हो के,
उस झल्ले लड़के को पराया कर देना !
किसने चाहा है कभी ये समझना के,
अपनों की कमी क्या होती है...

यूं उस झल्ले लड़के का अपना कुछ था भी नहीं !
नहीं, वो झल्ली भी नहीं !!

किस्से अधूरे

आज तो समंदर भी बड़ा परेशान है,
उसकी रगों में भी शायद जुदाई वाली कोई नदी बहने लगी है !
बादल खुद बड़ा प्यासा सा है,
वो भी शायद विछोड़े के किसी रेगिस्तान में निचुड़ के आया है !
हवा को आज रेत के दाने भी भारी,
शायद अपने पिआ पहाड़ से लड़ के थकी आई है !

यारा, कुछ ओर हो ना हो,
गुल्मोहर ढूंड लेना बस, इक वो ही तो खिला खिला सा रहता है !

और लिख लेना सब किस्से अधूरे उसकी महकी छाँव में !!

बँधा हुआ

मुझे पता नहीं के खींच के तोड़ी गयी में,
गांठ बँध जाती है या नहीं !
अगर ऐसा हो पाता है तो,
यारा, उस पायल में गाँठ बाँध लेना !

बँधा हुआ अब ओर कुछ भी बचा नहीं है;
सिवाए साँसों और घड़ी की सुईओं के !!

बाँटना

मेरी सारी कविताएं,
पानी से भरा हुआ बादल !
ओ हवाओ, कभी वक़्त लगे तो,
मेरी पलकों के नीचे से गुज़रना,
इन्हें दूर दूर तक उड़ा ले जाना,
और बरसा देना घनी आबादिओं में
सुना है, बाँटने से दर्द कम होते हैं !!