Life

Life is a forest. Once you are in, you cant remember from where did you get in...

बिखरे

हम दोनों ही बिखरते थे,
और सिमटते सिर्फ़ एक दूसरे से !
बिखराने वाले सब, समेटने वाले सिर्फ़ तुम !
ज़िंदगी को लगी है आदत तुम्हारी, ज़िंदगी भर के लिए !!

रवानगी

वापिस हटती लहरों से मोहब्बत मत करना,
लौटेंगी नहीं !
यूं लहरें आती रहेंगी कई !

बेवजह

ज़िंदगी क्या कल दिखाएगी
ज़िंदगी कल क्या दिखाएगी
बातें बेवजह…

ज़िंदगी गुज़र रही है मुझसे
मैं गुज़र रहा हूं ज़िंदगी से
सोच बेवजह…

लड़ाई

ज़िंदगी से हारना नहीं!
ख्वाबों को देखने वाली आँखें,
लड़ती तो आईनों से ही हैं !!

लहरों से डरना नहीं !
पानीओं में रहने वाली कश्तिआं,
चलती तो हवाओं से ही हैं !!

तन्हा रात

झींगुरों की आवाज़ें हैं शहनाईओं की तरह !
जुगनू टिमटिमाते हैं रोशनीओं की तरह !
झील में कहकशां महफ़िलों की तरह !
रात तन्हा मगर...

हार

कितना हारा हूं मैं,
के मुझको ही नहीं मालूम,
के दाव क्या लगाया था !
उसका लगाया था जो मेरा था नहीं,
या उसपे लगाया था जो मेरा बन ना सका !!

साधारण सा सवाल

डर इस बात का नहीं होता के कुछ खो जाएगा !
मगर इस बात का के तमाम ज़िंदगी गुज़रने के बाद
मन में सवाल रह जाए के क्या पाया !!

और असल सवाल का डर नहीं, बस बेबसी होती है जवाब ना होने की !
सवाल ये नहीं होता के तुमसे मिलन का नतीजा क्या होगा !
सवाल ये भी नहीं के तुम गर मिलोगी भी, तो कहां मिलोगी !


सवाल बड़ा साधारण सा है,
के जो रास्ते चुने हैं मैने, क्या वो कभी जुड़ेंगे वहां जहां तुम हो !!

सच्च

बाकी सब झूठ है, फीका है, बेरंग है,
सच सिर्फ़ इतना जो उसने खाँचो में भरा था, अपने दिल के कोनों के !
जैसे आकाश का आसमानी रंग झूठा, मगर उदास काले बादल सच्चे !!

थमे लम्हे

यूं आज पहली बार हुआ के तेरी आंखों का चांद अलसाया सा,
करवटें लेने लगा बरसों की मेरी आंखों की जगी रातों में !
आज बांट लेते हैं चांदनी आधी आधी,
और इस लम्हे के बाद कहीं छुपा लेंगे जेबों में अगली तारीख तक !

फिर किसी रात दोनो आध जोड़ के सज़ा लेंगे आने वाली सब रातें !!

खरीद

जो खरीदा था,
या जो नहीं बेचा था,
इस दुनिया से परे !
कुछ बचा होगा, कुछ तो बचा होगा !!

बंटवारा

सारा अधूरापन लिए हुए अपने आँसुओं में,
पोंछ दिया तुमने, जो था तेरे मेरे बीच...
मेरा सारा जहां...
जिसमे आधे तुम आधा मैं...
.
सोचो के बंटवारा पहेले से लिखा था तकदिरों में