गीली मिट्टी की खुश्बू

कितनी देर बारिश की राह देखी
ज़रा सी बारिश हो चुकी तो रुकने की आस लगा ली !
इंतज़ार और आस का पहिया हो
तुम कुछ गीली मिट्टी की खुश्बू जैसी हो !!

War

They want to bring equality with reservations (discrimination)

Just like USA, you see, they also want to bring peace with war

अधूरी कहानियाँ

तोते ने अपने परों से जैसे निचोड़ी हो
यूँ लाली आँखों में भर कर कहा
"गुटर-गूँ तो मैं लोगो की कहानियाँ करता हूँ
इत्मिनान से गा के सुनाऊंगा जब मेरी कहानी बनेगी”
तो मैं भी कहाँ चुप रहने वाला था

“मैं खिड़कियाँ रात को खोलता हूँ
ताक़ि अंधेरा अंदर आ जाए”
तितली फड़फड़ाते हुए बोली
“गर तुमने खिड़कियाँ दिन को खोली होती
तो आज ये कोई कहानी गा रहा होता”

मेरे पिंजरे में इक मैना है, उसको रोशनी पसंद नहीं !

किताब के पन्ने

काश के ज़िंदगी किताब के पन्नों सी होती
आँधी आती, पन्ने फड़फड़ाते और कहानी बदल जाती !

लंगर

संभाले रखा है अभी तलक
ना जाने कब कोई लहर बहा ले जाए

मेरी कश्ती में लंगर नहीं है

एक तेरी बाजुओं से आस थी
और कोई साहिल आसरा नहीं देता

मझधार

कभी साहिल होता है, साथ नहीं
और कभी साथ होता है तो साहिल नहीं !

मझधार में जो मिल के छूट जाए वो साथ ही क्या !!

साथ

रोज़ रात ऐसे ही छत पे जा के
खलाव को देखता रहता हूँ
मान लेता हूँ के तुम भी यही करती होगी
इस उमीद से के तुम्हारा साथ निभाने का यही तरीका है !

मैं अकेला हो जाता हूँ जब पड़ोस वाली लड़की
सामने वाली छत पे आ के मुस्कुराती है मुझे देख !!

जब मैं छोटा था

वहाँ से जहाँ से
एक रुपया कम पड़ने लगा...
अंबर में कल्पनाओं को भगाना छोड़
आकाश में आकाँशाओं को भगाने लगा...
दिन भर उलझा रहना छोड़
सुलझाने की कोशिश करने लगा...
बारिश में कश्तीआ तैराना छोड़
बचने के लिए कहीं औड ढूँदने लगा...
वहाँ से अब तक
मैं बड़ा कमज़ोर हो गया हूँ
और नहीं तो क्या...
अब मैं लड़खड़ाने के डर से ही रो पड़ता हूँ
तब मैं साइकल से गिर के हंसता था !!

ज़िंदगी

कुछ चीज़ें जो चाहिए वो मिलती नहीं
कुछ जो नहीं चाहिए वो मिल जाती हैं
बाकी जो बचता है वो ज़िंदगी है !

जिसे हम जीते नहीं, बस काट लेते हैं !!

चाँदी

मशगूल हो गये थे हम दोनो ही चाँदी इकठी करने में !
तूने बाज़ार सजाया था और कुछ सिक्के बना लिए
मैने खून निचोड़ा था और पायल बना ली !

अब चाँदी इंतज़ार में है के किसी के कुछ काम आ जाए ! !