माथा

वो जो आईने में तुम्हें चूमा करता था,
आज भी चाँद में तुम्हारा माथा ढ़ूंडता है !
जो सब ढ़ूंढी थी कभी खतों में,
सिगरटों के धुएँ में वही मोहब्बतें फूंकता है !

0 comments: